December 22, 2022 0 Comments Top posts

करवा चौथ कब है 2023 की तारीख व मुहूर्त

आइए जानते हैं कि 2023 में करवा चौथ कब है व करवा चौथ 2023 की तारीख व मुहूर्त। करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। साथ ही अच्छे वर की कामना से अविवाहित पापों के करवा चौथ व्रत रखने की भी नौकरीपेशा है। यह पर्व पूरे उत्तर भारत में ज़ोर-शोर से मनाया जाता है।

करवा चौथ व्रत के नियम

यह व्रत सूर्योदय से पहले शुरू कर चांद से शुरू हो जाता है और चंद्रमा के दर्शन को ही इसे खोल दिया जाता है।

शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले संपूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है।

पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
करवा चौथ कथा’


करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात पुत्र थे और करवा नाम की एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा। रात को जब सब भोजन करते हैं तो करवा के भाइयों ने उसे भी भोजन करने का आग्रह किया। उसने यह देश देश कर दिया कि चांद नहीं निकला है और वह अभी चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करता है। अपनी सुबह से भूख-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी। सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला – व्रत तोड़ लो; चांद निकल आया है।

बहन को भाई की चतुराई में नहीं लिखा और उसने खाने का निवाला खा लिया। निवाला ने उन्हें अपने पति की मौत का समाचार मिला। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को खींच रही रही। अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके परिणामस्वरूप उसका पति फिर से जीवित हो गया।

करवा चौथ व्रत की पूजा-विधि

सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सती करें। फिर सास द्वारा दिया गया भोजन और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।

यह व्रत उन सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल को भी सीढ़ी नहीं जाना चाहिए।

ईव के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए खास मिट्टी के कलश) रखें।

. पूजन सामग्री में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घना रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे।

चंद्रमा से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाओं के साथ पूजा करें।

पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनें।

चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।

चंद्र-दर्शन के बाद बहू अपने सास को थाली में सजा मिष्ठान, फल, मेवे, रूप आदि देकर उनका आशीर्वाद ले और सास उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे।

करवा चौथ में सरगी

पंजाब में करवा चौथ का पर्व सरगी के साथ होता है। इस करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले भोजन करने वाला होता है। जो महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं उनकी सास उनके लिए सरगी बनाती हैं। शाम को सभी महिलाएं वक्र करके एकत्रित होती हैं और फेरी की रस्म करती हैं। इस रस्म में महिलाएं एक घिनौनी स्थिति में बैठी हैं

और पूजा की थाली एक दूसरे को देकर पूरी दुनिया में कुजती हैं। इस रस्म के दौरान एक बुजुर्ग महिला करवा चौथ की कथा गाती हैं। भारत के अन्य प्रदेश जैसे उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गौर माता की पूजा की जाती है। गौर माता की पूजा के लिए गाय के गोबर से मूर्ति बनाई जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

करवा चौथ कब है

चौथ का क्या महत्व है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में दो चौथाई तिथि लागू होती है जिसे चौथ कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश को समर्पित होती है, इस दिन पूजा करने से जातकों के सभी दुखों और विघ्नों का नाश होता है।

करवा चौथ का इतिहास क्या है?
जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ तो ब्रह्माजी ने देवताओं की सभी पत्नियों को व्रत रखने की सलाह दी ताकि उनके पति जीत सकें, जिसके बाद करवाचू व्रत रखा गया।

चौथ व्रत 2023 कब है?
1 नवंबर 2023 को करवा चौथ का व्रत रहेगा।

. करवा चौथ के व्रत का क्या महत्व है?
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की के लिए करती हैं। लेकिन कई सिंगल लड़कियों को अपना आदर्श पार्टनर पाने के लिए जल्दी ही इस बात का एहसास हो जाता है।

करवा चौथ के बारे में क्या?
करवा चौथ पर सोहाग से जुड़े सोलह श्रृंगार के सामान आदि का दान किया जाता है।

करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं?
करवा चौथ की रात पूरे दिन निर्जला रहने के बाद रात में चांद को देखकर महिला ने अर्घ्य दिया। इसके बाद पति अपनी पत्नी को कावा पिलाता है और व्रत तोड़ने के लिए उसे कुछ देता है।

करवा चौथ पर सास क्या देती हैं?
करवा चौथ पर, व्रत तोड़ने के बाद, महिलाएं अपनी सास को करवा (मिट्टी या अन्य धातु से बना एक विशेष कटोरा), मिठाई, कपड़े और सोहाग से संबंधित लेख (जिसे बयाना भी कहा जाता है) देती हैं।

करवा चौथ पर सास बहू को क्या देती है?
इस दिन सास अपनी बहू को सूर्योदय से पहले स्नान कराती हैं। इस सरगी डिश में मिठाई, मठरी, मेवे, फल, ड्रेसिंग, साइड डिश, पूरी और नूडल्स होते हैं।

FQAs….

करवाचौथ वाले दिन सुबह सबसे पहले उठकर माता गौरी और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। इसका बाद शाम के समय अहोई माता की पूजा अर्चना होती है। इसलिए करवा चौथ से पहले ही आप सारा सामान ले आएं।

यदि करवा चौथ व्रत या पूजा-पाठ के दौरान पीरियड्स शुरू हो जाएं तो ऐसे में महिलाओं को अपना व्रत पूरा करना चाहिए। इस दौरान मानसिक रूप से करवा माता की आस्था करनी चाहिए। व्रती महिलाएं इस दिन पूजा-पाठ के दौरान दूर बैठकर किसी अन्य व्यक्ति से पूजा करवा सकती हैं। ध्यान रहे कि इस दौरान पूजा-पाठ के सामान को नहीं छूना चाहिए।

दाल, रोटी, सब्जी, खिचड़ी, खीर, छाछ, दही और दूध का सेवन कर सकते हैं। उपवास से पहले पानी की कमी को पूरा करने के लिए फलों का सेवन कर सकते हैं। महिलाओं को उपवास के पहले नारियल पानी का सेवन करना चाहिए, इससे करवा चौथ व्रत के दिन महिलाएं हाइड्रेटेड रहेंगी।

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